नवभारत टाइम्स | Updated: 22 Oct 2020, 04:46:00 AM
दशहरे में रावण से पहले सावन के महीने में कांवड़ बनाने वाले मुस्लिम परिवारों को इस साल कोरोना की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों के पास पढ़ाई से लकर दवाई तक के पैसे नहीं है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुश्किल से मिला एक ऑर्डर
उन्होंने बताया कि हम लोग रावण बनाने से पहले सावन के महीने में कांवड़ बनाने का काम करते हैं। इस बार कांवड़ यात्रा नहीं होने से सैकड़ों परिवारों के लिए पहले से ही दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि मैं हर साल नवरात्र में 4 रामलीलाओं के लिए रावण के पुतले बनाता था। इस बार बड़ी मुश्किल से एक ऑर्डर मिला। मेरे साथियों को तो कोई काम नहीं मिला।
दवाई से लेकर पढ़ाई तक के पैसे नहीं
अनीश ने कहा कि हमारा कारोबार सीजन पर आधारित है। हम लोग शादियों में आतिशबाजी का काम भी करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना और लॉकडाउन की वजह से शादियां भी नहीं हुईं। रावण का पुतला बनाने वाले महमूद अली ने बताया कि नवरात्रों में मिलने वाले काम से एक कारीगर का घर 4 महीने तक चलता है। उन्होंने बताया कि कारीगरों के पास दवाई से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक के पैसे नहीं है। ज्यादातर कारीगर ब्याज पर पैसे लेकर घर चला रहे हैं।
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Web Title : families making effigies of ravana face crisis due to coronavirus
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